
हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश के बारे में जानकारी: Information about Hastinapur Uttar Pradesh
Hastinapur | हस्तिनापुर जो पांडवों की राजधानी रही थी। इसका एक अपना गौरवशाली इतिहास को इस ब्लॉग में हम देखेंगे। यह वही पीपल का पेड़ जो आपको सामने नजर आ रहा है इसके पास पांडव लोग बचपन खेला करते थे और थोड़ा सा और आगे यह जो मंदिर है, यह मंदिर जहां पांडव लोग पूजा किया करते थे। 7200 साल पुराना है। यह मंदिर और यहां की मूर्तियां भी उतना ही पुराने है। पहले यह शिवलिंग थोड़ा बड़ा हुआ करता था यहां के लोग बताते हैं कि एक टाइम में इस शिवलिंग को काट दिया गया था। पर बढ़िया है शिवलिंग आज भी मौजूद है, वही पुराना शिवलिंग है। इस मंदिर में शिवलिंग के अलावा यहां 5 पांडव की पांच मूर्ति है, कहा जाता है कि पहले यहां पांच मूर्तियां में पांडवों का चेहरा साफ झलकता था, पर अब यह चेहरा नहीं देख सकते हैं। बस यह पत्थर की मूर्ति ही है। मंदिर के पास में ही यह कुआं है और कहा जाता है इस कुआं के पानी से द्रौपदी नहाती थी और माना जाता है कि इस कुएं के पानी से सारे चर्म रोग और अन्य चमड़ी रोग ठीक हो जाते हैं और यहां तो यह भी माना गया कैंसर भी ठीक हो सकता है।
मोनी बाबा की कुटिया:
इसी मंदिर के पास कुटिया है जो मोनी बाबा की कुटिया के नाम से जाना जाता है मोनी बाबा के नाम का यहां एक पंडित रहते है जो पूरे जीवन में कभी भी नहीं बोले। और यहीं पर आप देखेंगे कि परीक्षितगढ़ का जाने का रास्ता व सीधे हस्तिनापुर से परीक्षितगढ़ जाने का वह सिधा रास्ता था। पर अब यह रास्ता एक निशानी बनकर रह गए हैं। कहा जाता है कि पहले इसमें से खड़े होकर परीक्षितगढ़ तक जा सकते थे पर अब यह पानी से भर चुका है। अब दिखाने भर के लिए सुरंग रहा है।
हस्तीनापुर के मंदिर:
अब आपको दिखाते हैं पांडवों की कुलदेवी जयंती माता का मंदिर पांडव की कुलदेवी है और यह मंदिर हस्तिनापुर के टीले पर स्थित है। इस मंदिर में आकर पांडव पूजा करते थे।
विदुर कुटी:
अब हम चलें विदुर कुटी की तरफ। यह वही कुटी है जहां भगवान श्री कृष्ण और विदुर में वार्ता हुई थी और भगवान श्री कृष्ण ने विदुर के यहां साग और रोटी खाया था। और यहां पर बात हुई थी। आपको पहले ही बता दूं कि यह देखने में आपको निराशा हाथ लगेगी क्योंकि इस किला में कुछ नहीं देखने के लिए बिल्कुल खंडहर बन चुका है। किला आपको सबसे पहले यहां की कुलदेवी दिखाता पांडव लोग पूजा किया करते यह नई मूर्ति शंकर भगवान की है। यह कुलदेवी जयंती माता यहां के पंडित के अनुसार पांडव यही पूजा किया करते थे और इस किले में और कहीं कुछ नहीं है। चारों तरफ जंगल ही जंगल है, कुछ भी नहीं है। मैं जब ऊपर आ रहा था तो लोकल पुलिस ने मना भी किया कि ज्यादा अंदर तक नहीं जाना, क्योंकि कहीं कुछ है ही नहीं जंगल के सिवा।
कुछ रोचक तथ्य:
और सुनने में आया है क्योंकि देखने को मिला नहीं। यहां से कुछ ऐसी चीजें मिले हैं तो पांडव कालीन हैं और यह जो आपको सामने दिख रहा होगा। घर इसके अंदर कुछ ऐसी चीजें हैं जो देखने लायक है। पर क्यों हमेशा बंद ही रहता है। यहां के लोकल ने बताया कि शायद ही कभी खुलता है। 21 इसका कारण यह है की यह पहले पुरातत्व विभाग के अंदर था। उस समय खुदाई हो रही सरकार ने इसको वन विभाग को दे दिया और वन विभाग ने इस को संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया तो यहां कोई खुदाई नहीं होती है अब।पहले हस्तिनापुर पांडवों के लिए जाना जाता था। अब हस्तिनापुर जैनियों के लिए जाना जाता है। यहां जैन मंदिर ज्यादा है।
थैंक्यू!
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