
ajmer sharif dargah | अजमेर शहर को सातवीं शताब्दी में राजा अजय राज सिंह चौहान ने बताया था जो कि पृथ्वीराज चौहान की पूर्वज है। सबसे पहले बात करते हैं। कनेक्टिविटी की टू अजमेर देश के सभी हिस्सों से ट्रेन और रोड दोनों ही माध्यमों से बहुत अच्छे से जुड़ा हुआ है तो आपको यहां तक आने में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं आती है। अब बात करते हैं रहने की वजह में बहुत ही रीजनेबल रेट पर आपको होटल मिल जाते हैं तो आप आने के पहले ऑनलाइन अपना होटल चेक कर ले और बुक कर ले।
अगले सवाल करने के लिए कितने दिन पर्याप्त है तो मेरे हिसाब से अगर दो पूरे पूरे दिन आपके पास है तो 2 दिन में आप पूरा शहर आसपास का काफी अच्छे से गुम सकते हैं,मैं अजमेर की बात कर रहा हूं तो आप बहुत अच्छे से घूम सकते हैं। घूमने के लिए आप से बात करें तो अजमेर छोटा शहर है। सारी स्पोर्ट्स आस पास ही है। बहुत ज्यादा दूर नहीं है तो गर्म घूमना चाहते हैं तो आप लोकल और 2जी चलती हैं। उनसे या फिर आप जो सिटी बस उसके तू ही पूरा का पूरा कवर कर सकते हैं और यह बहुत ही कम रेट में आपको हो जाएगा। आपको इसके लिए एक्स्ट्रा कोई कोई कार्य टैक्सी बुक करने की जरूरत बिल्कुल नहीं है।
अब यहां से अपना सफर शुरू होता है तो आप अपने दिन की शुरुआत अजमेर शरीफ दरगाह में माथा टेक कर कर सकते हैं। आज अजमेर को सबसे ज्यादा अजमेर शरीफ दरगाह के कारण ही जाना जाता है। पूरे हिंदुस्तान में ही ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है। इस दरगाह में प्राचीन काल से ही बहुत से मुस्लिम शासक और विशेष रूप से मुगल आते रही। आज तक पूरे हिंदुस्तान में बहुत ही ज्यादा है।
यहां केवल हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि यह आसपास के देशों में भी विशेष रूप से पाकिस्तान में भी स्कूल बहुत अच्छे से जानते हैं और अक्सर यहां पर बॉलीवुड के कलाकार फिल्मी हस्तियां राजनीति के लोग और पाकिस्तान के भी कई नेता यहां पर आकर चादर चढ़ाते हैं।
आप इसे जरूर जाकर देखें। यह आज की डेट में एक मस्जिद है जो कि प्राचीन काल में एक संस्कृत विद्यालय हुआ करता था कि काफी खूबसूरत यह भी स्ट्रक्चर है तो आप इसे जरूर देखें। ढाई दिन की झोपड़ी भी यहां है।
अड़ाई दिन का झोपड़ा देखने के बाद आप फिर से अजमेर शरीफ दरगाह की ओर है और जो दरगाह का गेट नंबर वन है जो मुख्य गेट है उसे आप दिल्ली गेट की तरफ जाए। दिल्ली गेट वहां पर प्राचीन एक दरवाजा है जिसका नाम दिल्ली गेट है, वहां तक जा सकते हैं। वहां से आपको तारागढ़ फोर्ट के लिए आपको ऑटो मिल जाएगा तो आप वहां से ऑटो कर लिया। फिर तारागढ़ फोर्ट चले जाएं। आज की डेट में बात करें तो तारागढ़ फोर्ट की हालत बहुत ही खराब है। यहां पर पहले प्राचीन खिला हुआ करता था जो कि बहुत ही जर्जर हालत में इसके लिए का निर्माण अजय पाल चौहान में तुर्कों के आक्रमण से बचने के लिए 11वीं शताब्दी में करवाया था, जिसके लिए में एक दरगाह है जहां पर लोग दर्शन करने जाते हैं।
पूरी तरह से खत्म हो गया था। पृथ्वीराज चौहान ने 14 से 26 ईसवी में इसे अपनी पत्नी तारा के कहने पर इसका फिर से रिकंस्ट्रक्ट करवाया था। इसीलिए तारागढ़ फोर्ट कहते हैं। तारागढ़ फोर्ट के लिए आप मतलब सुबह ही निकल जाए क्योंकि अगर आप शाम को जाएंगे तो आपको साधन नहीं मिलेगा क्योंकि शाम को कितनी दूरी दी है। थोड़ा सा तो अब वहां तक जाने पाएगी। अजमेर के दिल्ली गेट से फिर आप संग्रहालय जाएं। वहां से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर है। पहले यह अकबर का किला हुआ करता था जिसके कारण इसे अकबरी फोर्ट भी कहा जाता है तो यहां आप जरूर जान बहुत ही खूबसूरत है तो इतना घूमने में आपका पूरा दिन खत्म हो जाएगा।
इसके बाद आप अगले दिन की शुरुआत सोनी जी की नसिया जैन मंदिर से शुरू कर सकते हैं। यह दिगंबर जैन मंदिर है और बहुत ही भव्य और खूबसूरत मंदिर है कि यहां पर आपको टिकट ₹10 का आता है और यह दो मंजिलों को आपस में जोड़कर बनाया गया है। बहुत ही भव्य मंदिर है।
इसके बाद आप आना खा कर ली जा सकती। बहुत ही विशाल लिख रही है। अजमेर का सबसे बड़ा लिखित पर यह मैंने इसे महाराजा आना जी ने बनवाया था जो कि पृथ्वीराज चौहान के पूर्वजों के नाम पे आना सागर लिखा जाता है
आज की डेट की। बीपी! किनारे एक दौलत बाग गार्डन है जिसे आप सुभाष चंद्र बोस गार्डन कहा जाता है तो इसका एक वृत्त वीडियो मैंने डाला हुए और लेडी आनासागर लिखकर आपके लिंक पर क्लिक करके देख पपीहा भी जरूर जाए। काफी बढ़िया है। यहां पूरा इंजॉय करेंगे। इसके अलावा यहां पर नया कंस्ट्रक्शन हुआ है। नरेली जैन टेंपल आप यहां भी चाय बहुत ही खूबसूरत बनाया गया है। इसे तो यहां भी अब काफी इंजॉय करेंगे।
यहां से आप चाहे तो फॉयसागर लिख भी जा सकते हैं। यह भी काफी खूबसूरत है और यहां से आपको भी उस बहुत अच्छे मिलते हैं। आप यहां पर फोटोग्राफी वगैरह भी बहुत अच्छे से कर सके।
थैंक्यू
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