सहारनपुर के बारे में जानकारी:
सहारनपुर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर है। एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल और कुटीर उद्योग जैसे लकड़ी की नक्काशी के लिए जाना जाता है। इसके अलावा सहारनपुर कृषि उपज चावल के लिए प्रसिद्ध है यह प्रदेश उत्तरी भाग में बसा हुआ है। सहारनपुर जिले की सीमाएं हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य से मिलती हैं। सहारनपुर जिला कई सारे पड़ोसी जिलों से भी गिरा हुआ है। सहारनपुर जिले के पश्चिम में करनाल जिला उत्तर में सिरमौर जिला और पूर्व में हरिद्वार और मुजफ्फरनगर जिला स्थित है। यह भारत की राजधानी नई दिल्ली से लगभग 180 किलोमीटर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 700 किलोमीटर दूर स्थित है।
यह अपने आप में एक धर्म इतिहास समेटे हुए हैं। सहारनपुर शहर में कई शासकों के साम्राज्य के उत्थान और पतन को देखा है। उत्तर प्रदेश के इतिहास पर एक छाप छोड़ी है। लगभग 3690 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए सहारनपुर जिले की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 36 लाख से ऊपर थी। सहारनपुर जिले में कुल 5 तहसील मौजूद हैं जो इस प्रकार से हैं भेंट देवबंद, नकुड, रामपुर, मनिहारान, सहारनपुर है, धार्मिक दृष्टिकोण से सहारनपुर जिले में 56.54% हिंदू 41.5% से 48% अन्य धर्म के लोग निवास करते हैं। सहारनपुर जिले में प्रत्येक 1000 लड़कों पर 878 लड़कियां जन्म लेती हैं। जिले की साक्षरता दर 72.3% मुख्य भाषाएं हिंदी, उर्दू ,अंग्रेजी है।
सहारनपुर जिले की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। यहां चावल , आम और कपास यहां की मुख्य फसलें हैं। उद्योगों में रेलवे , मधुमक्खी पालन और चीनी उद्योग शामिल है। इसके अलावा शहर में लकड़ी पर नक्काशी का काम भी किया जाता है। परंतु शहर में बड़ा उद्योग ना होने की वजह से प्रदेश के अन्य शहरों की तरह सहारनपुर शहर के लोग भी रोजगार पाने के लिए दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों की ओर पलायन करते हैं।
सहारनपुर का इतिहास:
सहारनपुर का इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि सहारनपुर जिले की स्थापना सन 1340 के आसपास हुई थी और जिले का नाम राजा सहा रणवीर के नाम पर पड़ा। बाद में ब्रिटिश काल के समय सहारनपुर में स्थानांतरित कर दिया गया। सहारनपुर जिले की कास्त की कला और देवबंद विश्व पटल सहारनपुर को अलग पहचान दिलाते हैं।
सहारनपुर में टूरिस्ट पैलेस:
इस जिले में माता शाकुंभरी देवी का प्रमुख शक्तिपीठ स्थित है जिसका वर्णन प्राचीन। और पुराणों में भी होता है। सहारनपुर शहर की कुछ ऐसी भी बातें हैं जो शायद से आप नहीं जानते होंगे। सहारनपुर, सहारनपुर जंक्शन, रेलवे स्टेशन, सहारनपुर का रेलवे स्टेशन, अंबाला लाइन दिल्ली, मेरठ सहारनपुर लाइन और दिल्ली शामली सहारनपुर लाइन पर स्थित है। क्या हमको जंक्शन रेलवे स्टेशन के द्वारा रोजाना लाखों की तादाद में यात्री आवागमन करते हैं। शाम को शहर अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। हर साल लाखों सैलानी सहारनपुर शहर की खूबसूरती को देखने आते हैं। आइए जानते हैं कौन से पर्यटक स्थल है जिनके बिना सहारनपुर जिले का निर्माण अधूरा है नंबर 1 बोटैनिकल गार्डन। 1750 में स्थापित किया गया था। इस गार्डन को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा स्थापित किया गया था। 1878 महीने जब भारत का बोटैनिकल गार्डन सर्वे हुआ था तो सहारनपुर जिले में केंद्र बन गया था और उसे वनस्पतियों और जीवो के अध्ययन में उत्तम माना गया था। आज के समय में सहारनपुर का यह बोटैनिकल गार्डन कोलकाता के बोटैनिकल गार्डन के बाद देश में दूसरे नंबर पर आता है।
जहां की वनस्पतियों और पौधों को रिसर्च और साइंस में शामिल किया जाता है। यहां के कई पौधों और वृक्षों पर उल्लेख किया गया है। इसके अलावा औषधीय पौधों पर भी विसर्जित की जाती है। वर्तमान में गार्डन को बाग बनी प्रयोग और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। हर साल लाखों सलाम ई इश्क गार्डन की खूबसूरती को देखने के लिए सहारनपुर जिले में आते हैं। शकुंभरी देवी मंदिर ऐतिहासिक सहारनपुर जिले से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो हालांकि इस मंदिर का कोई ऐतिहासिक और पुरातात्विक उल्लेख नहीं है, लेकिन सामान्य रूप से माना जाता है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है। इस मंदिर की मूर्तियां काफी प्राचीन दिखती और कुछ लोगों का मानना है कि यह मराठा काल के दौरान स्थापित किया गया था, जबकि अन्य लोगों का मानना है कि आदि शंकराचार्य ने अपनी तपस्या को यहीं पर किया था। इन सभी मतों के अलावा इस मंदिर में साल भर हजारों श्रद्धालु आते हैं और दर्शन करते हैं। इस मंदिर में माता की पूजा की जाती है और माना जाता है कि मां शाकुंभरी देवी ने इसी स्थान पर महिषासुर असुर को मारा था और लगभग 100 साल तक तपस्या की थी। जबकि वह उस समय महीने में केवल एक बार शाकाहारी भोजन किया करती थी।
नंबर तीन नौ गजा पीर सहारनपुर जिले में नेशनल हाईवे 73 स्थित एक तीर्थ स्थल है। जहां पर हिंदू और मुसलमान दोनों समुदाय के लोग दर्शन करने आते हैं। यहां पर स्थित 26 फीट ऊंची मजार है जिसे हर बार ना अपने पर अलग नापाती है। यह आश्चर्य और पीर के बारे में मिठास शामिल है। ऐसा माना जाता है कि उस समय आदमी की ऊंचाई का मकबरा बनाया गया था, जिसकी लंबाई 26 फीट ऊंची थी। यह दरगाह कई राजनेताओं, यात्रियों और बस ड्राइवरों को आकर्षित करती है जो यहां रुक कर प्रार्थना अवश्य करते हैं। नौ गजा पीर के मुख्य पर्यटक स्थलों में से एक है। एक है जो हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों को आकर्षित करता है। नंबर 4 बाबा लाल साहेब दरगाह यह बाबा श्री लाल दास की स्मृति में बनवाया गया है जो कि मुगल काल के दौरान ज्ञान देते थे और ध्यान मेडिटेशन पर ज्यादा जोर देते थे। उनके ध्यान की चर्चा मुगल काल में काफी प्रसिद्ध थी और मुगल शासक मोहम्मद सिखों द्वारा भारतीय संस्कृति के पक्ष को स्वीकार आ गया था।
इस मेमोरियल को उसी जगह पर बनवाया गया है जहां पर ध्यान लगाया करते थे। नंबर छे देवबंद बाला सुंदरी मंदिर, इस मंदिर को देवबंद खान के नाम से भी जाना जाता है कि सहारनपुर की मुख्य मंदिरों में से एक है और इसका उल्लेख हिंदू महाकाव्य में भी मिलता है। यह मंदिर मां बाला सुंदरी के लिए प्रसिद्ध है और ऐसा माना जाता है कि मां बाला देवी शाकंभरी की बहन थी। जिन को समर्पित एक मंदिर पास ही शाकुंभरी क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर में मां बाला सुंदरी की रंगीन चमकीली पोता खिलाने, सुंदर मूर्ति मन को भा लेती है। हिंदू धर्म के भक्त घर नवरात्रों के दिनों यहां पर पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। श्रद्धालु अन्य त्योहारों पर दर्शन के लिए आते हैं। इसके अलावा सुबह शाम को यहां पर काफी ज्यादा मात्रा में देखी जा सकती है।
थैंक्यू
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