
तो आज हम निकले हैं राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े रेगिस्तान घूमने के लिए यानी की जोधपुर मैं घर से 8:00 बजे निकला और जोधपुर पहुंचा में 10:00 बजे और मैं 10:30 बजे मंडोर की तरफ निकल पड़ा और मंडोर का मौसम सर्दी की धुंध की चादर ओढ़ रखा था और और यह बहुत सुंदर था और यह ऐसी जगह है जहां रावण का ससुराल भी है
नोट:
गार्डन में कैसे जाए और कहां से जाएं
सबसे पहले आप जोधपुर के मेन बस स्टेण्ड पावटा या रेलवे स्टेशन पे उतरते हैं तो आपको 1न बस या7न बस मिलेगी जो आपको मंडोर छोड़ देगी जो किराया20 पावटा और रेलवे स्टेशन से ₹25 या ₹30 लेगी
और हम आज विजिट करेंगे मंडोर गार्डन तो चलते हैं हम आज मंडोर गार्डन में एंट्री कर चुके हैं और यहां पर कोई भी एंट्री फीस नहीं है लेकिन यहां पर मास्क और सेनीटाइज यूज करना जरूरी है वैसे मंडोर गार्डन में बहुत सी जगह है जहां आप विजिट कर सकते हैं यहां पेड़ पौधे और बहुत ही हरियाली है और इन पर आपको प्यारे-प्यारे पक्षियों की मीठी आवाज सुनने को मिलेगी जब मैंने मंडोर गार्डन में छतरीयो का व्यू देखा तब ऐसा लगा कि मानो यह कोई मूवी का सीन है यह छतरियां जो जोधपुर के पुराने राजा महाराजा लोग थे यह उनकी छतरियां है,और जिन्होंने इन छतरियों को बनाया है उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाएंगे आप।
ऐसे मंडोर गार्डन में 35 मूवी बन चुकी है।
और अभी जिस छतरी में घूम रहा हूं वह मंडोर की सबसे बड़ी छतरी है और यह बहुत ही अच्छी और सुंदर दिख रही हैं और इसकी नक्काशी की तो बात ही लाजवाब है आप इन पत्थर को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि जिसने इनको बनाया है उन्होंने पत्थरों को काट काट कर इस में बहुत ही अच्छी नक्काशी की गई और भगवान की मूर्तियां भी बनाई गई और पशु पक्षियों की भी चित्रकारी की गई है और यह पूरी की पूरी छतरी लाल पत्थरों से बनी गई है और पत्थर में जो नक्काशी है वो सच में बेमिसाल है
और अब हम निकल पड़े हैं मंडोर की दूसरी लोकेशन देखने के लिए और हम जाएंगे नागादड़ी बांध उसके बाद जाएंगे हम चामुंडा के मंदिर और फिर हम देखेंगे जो जोधपुर का पुराना किला है मंडोर में और अभी हम जा रहे हैं नागादडी़ बांध तो आपके लिए रास्ता थोड़ा कठिन हो सकता है क्योंकि यहां पर बहुत बार ऊपर चढ़ना उतरना पड़ेगा सीढ़ियों से और नागादड़ी में बहुत ही अच्छे से पानी चल रहा है और यहां पर छोटी-छोटी मछलियां भी आपको दिखाई देती है जिसको आप यहां से आटे के दाने बनाकर भी दे सकते हैं और अगर आप एडवेंचर के शौकीन हो और आप मैचर लवर हैं तो यह लोकेशन आपके लिए बहुत बेस्ट होगी , और अब हम निकल पड़े हैं चामुंडा माता मंदिर देखने के लिए और यह रास्ता काफी ऊपर है और आपको बीच में एक दरगाह देखने को मिलेगी और हमने दरगाह पर माथा टेका और हम निकल पड़े चामुंडा मंदिर की तरफ रास्ता काफी सीधा है चढ़ाई काफी है और चलते चलते अब हम पहुंच चुके हैं चामुंडा मंदिर और यह मंदिर काफी प्राचीन है और बहुत से लोग यहां पैदल ही विजिट करते हैं,
और अब हम आगे चलते हैं जोधपुर का पुराना किला देखने के लिए किले की तरफ जाने के लिए या जो सीढ़ियां बनी है वह थोड़ी उबड़ खाबड़ हैं तो आपको चलने में परेशानी हो सकती हैं और किले के ऊपर से आपको पूरा मंडोर गार्डन खुला दिखता है और यूं कहे तो ऊपर से देखने पर मंडोर गार्डन बहुत ही लाजवाब लगता है, और कहते हैं कि जब रावण की शादी हुई थी मंडोतरी से तो रावण की पूरी सेना इस किले के रास्ते से चली थी वैसे मंडोर के पास ही रावण की छतरी भी है और किले पर बंदर सेना बहुत ही ज्यादा है जो अपनी अपनी मस्ती करते रहते हैं और यहां पर चिड़ियों की चहचहाहट बहुत ही सुंदर सुनाई देती है
मंडोर गार्डन में एक थंबा महल भी बनाया गया, और मंडोर गार्डन में आपको म्यूजियम भी देखने को मिलेगा जिसमें आपकी टिकट लग सकती हैं जिसका नॉर्मल चार्ज 30 से ₹50 हो सकता है इसमें आपको बहुत ही पुरानी पुरानी चीजें देखने को मिलेगी और म्यूजियम के पास ही भैरव बाबा का मंदिर भी है जहां भी आ विजिट कर सकते हो और उससे थोड़ा आगे आते हैं तो आपको राजस्थान के लोक देवताओं की तस्वीरें देखने को मिलेगी जो की पत्थर से बनाई गई है
जोधपुर के पर्यटन स्थलों में सबसे लोकप्रिय, मंडोर गार्डन जो आराम करने के लिए सबसे अच्छे पार्कों में से एक है। मंडोर का इतिहास 6 वीं शताब्दी के समय का है, जोधपुर स्थापित होने से भी पहले। यह महान पारंपरिक मूल्यों को समायोजित करता है और अपने आप में वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
मंडोर गार्डन घूमने का सबसे अच्छा समय
अक्टूबर से मार्च तक सर्दियों के महीनों में मंडोर गार्डन की यात्रा करना उचित है। मंडोर शहर थार रेगिस्तान के काफी करीब स्थित है और इसलिए गर्मी के महीनों में गर्मी असहनीय हो सकती है।
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