
“जयपुर जो कि राजस्थान की राजधानी है। और पिंक सिटी के नाम से मशहूर हैं।”
जयपुर में बहुत सारे फोर्ट हैं, जैसाकि आप सभी जानते है। कई सारे आपको मंदिर भी मिलेंगे। पूरा सारा यहाँ कल्चर सिटी आपको देखने को मिलेगा। कैसे यहां का टूर हो सकता है आपको सारी जानकारी यहाँ पर मिलेगी। आप भी अपना टूर प्लान बना सकते है।
जयपुर में हर साल लाखों टूरिस्ट आते हैं। यहाँ इंडियन ही नहीं काफी सारे फॉरेन भी आते हैं। चाहे यहां के फोर्ट हो, या फिर यहां के फ्रूट्स हो, चाहे यहां के टेम्पल हो, या फिर यहां के मार्केट हो, हर कोई जयपुर की तरफ खींचा चला आता है। जयपुर पहुंचने से पहले आपको बता दूँ जयपुर पहुंचा कैसे जाये। यहां रेल्वे स्टेशन है जहां देश के छोटे – बङे सीटीज से डायरेक्ट ट्रेन आती है। साथ ही यहां इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी है। इसके अलावा जयपुर में आसपास से कई शहरों से बसें भी आती हैं। यहां के बस स्टेशन का नाम सिंधी कैंप है, जो कि रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर की दूरी पर है।
जयपुर में घूमने के लिए बहुत सारी पेलेसींज हैं। घूमने के लिए स्कूटी से घुमना सबसे सस्ता रहता है। क्योंकि इससे आप ट्राफिक से भी बचते हैं। यहां स्कूटी मुझे पूरे 7 दिन के लिए 11 सौ रुपए में मिल गयी थी। पहले दिन ही मैं 8:00 बजे ही घूमने के लिए निकल गया। सबसे पहले ब्रेकफास्ट के लिए मैं यहां के “रावत मिष्ठान भंडार” में गया। या की प्याज कचोरी सबसे प्रसिद्ध हैं। जो की 20 रुपये में मिलती है। प्याज कचोरी में प्याज ही नहीं होता इसमें आलू का मसाला भी होता है। बहुत ही स्वादिष्ट होती हैं। यहां से मैं पिंक सिटी ‘हवामहल‘ देखने के लिए गया। जो बाहर से देखने में सुंदर तो हैं ही, जो की अंदर से देखने मैं भी बहुत प्यारा लगता है।
यह सिटी के मध्य भाग में होने के कारण यहां कि रोड के आगे से बहुत वाहन निकलते रहते हैं। हवा महल के आगे खड़े होकर फोटो क्लिक करवा सकते हैं।
“हवामहल” – गुलाबी नगरी के प्रतीक के रूप में विख्यात हुए हवामहल का निर्माण सन – 1799 में सवाई प्रतापसिंह ने गुलाबी बलूई पत्थर से करवाया था। इसके वास्तुविद लालचंद उस्ता थे। हवामहल पांच मंजिला पिरामिड आकार की खिड़कियों से युक्त भवन हैं। इसकी पांचों मंजिलों के नाम – शरद मंदिर, रतन मंदिर, विचित्र मंदिर, प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर हैं।
हवामहल श्री कृष्ण के मुकुट के आकार का पिरामिडनुमा आकृति से निर्मित राजपूत एवं मुगल वास्तुकला का सुंदर समन्वय हैं जो दूर से मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देता है। इसका मुख्य प्रवेश द्वार “आनंदपोल” कहलाता है। इसकी पांचवीं व सबसे ऊपरी मंजिल हवा मंदिर ‘अर्धचंद्राकार स्वरूप’ में बनी हुई है। हवा महल का टिकट मात्र 50 रुपये का है। हवामहल सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। हवा महल के लिए आप मेट्रो ट्रेन से आ सकते हैं। बड़ी चौपड़ यहाँ का नियर बाई मेट्रो स्टेशन है। हवा महल में छोटी-छोटी खिङकियाँ भी हैं जिसके झरोखे से रानी अपने राजाओं को देखती थी।
इस झरोखे से बाहर का वातावरण भी देख सकते हैं। हवा महल के ठीक सामने ही एक मशहूर कैफें हैं यहाँ मैनें चाय पी जिसकी किमत 120 थी और यहां से हवामहल का सीन भी सामने से दिखता रहेगा। यहां कपल के साथ कोई आये तो अच्छा इन्जॉय कर सकते है। यहां से मैं सीधा जयपुर के पॉपुलर जगह आमेर फोर्ट के लिए निकला। यहां मैं टेढ़े मेढ़े रास्ते से होता हुआ आमेर फोर्ट पहुंचा जयपुर की मशहूर जगह आमेर फोर्ट में आप देख सकते हैं यहां तक पहुंचने के लिए आप पैदल या गाड़ी, हाथी से भी पहुंच सकते हैं।
इस फोर्ट के दोनों तरफ दरवाजे हैं यहां दोनों तरफ से भी आप पहुंच सकते हैं। आमेर फोर्ट में पहुंचते ही आप महसूस करेंगे कि आप किसी राजा के महल में आए हो। क्योंकि यह सच में ही बहुत ही भव्य दिखता है। जहां पर बड़े-बड़े दरवाजे भी हैं और ऊंची ऊंची दीवारे भी है। और किले में पुरानी नक्काशी भी बहुत ही खूबसूरत की हुई है। यहां नहाने के लिए स्नानघर तथा खाना बनाने के लिए रसोईघर, रहने के लिए रूम्स है जिसे देखने के लिए आप और आपके बच्चों के लिए नॉलेज भी बढ़ेगी। यहां पर बहुत सारे टूरिस्ट आते रहते हैं।
यहां पर घूमने के लिए आधा एक घंटा भी आपके लिए कम पड़ सकता है। अगर आप यहां पर घूमने के लिए आते हैं तो थोड़ा समय लेकर आए क्योंकि जल्दी-जल्दी में कुछ जगह छूट भी सकती हैं क्योंकि यहां पर गुफा भी है और तहखाने भी बने हुए हैं। यह सभी देखने के लिए आपके पास पर्याप्त समय भी होना चाहिए। आमेर दुर्ग को राजा मानसिंह प्रथम द्वारा सन् 1592 ई. में निर्मित यह दुर्ग हिंदू मुस्लिम शैली का समन्वित रूप है। यहां के महलों में रंग-बिरंगे कांच की भव्य कलाकृति शीशमहल, सुख मंदिर, जगत शिरोमणि मंदिर, मावठा जलाशय, दिलाराम का बाग, केसर क्यारी दर्शनीय हैं। यहां का एंट्री टिकट ₹100 हैं। जबकि 7 वर्ष के बच्चों की एंट्री फ्री हैं।
आमेर फोर्ट सुबह 8:00 से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है। यूनेस्को ने 21 जून, 2013 को राजस्थान के 6 किलो को विश्व विरासत सूची में शामिल करने की घोषणा की थी। इसमें आमेर दुर्ग को भी शामिल किया गया है। यहां पर आप पहुंच कर इस दुर्ग को आराम से देख सकते हैं। यहां से मैं जयगढ़ दुर्ग देखने के लिए गया। जयगढ़ दुर्ग राजा मानसिंह प्रथम द्वारा सन 1600 में निर्मित इस दुर्ग का नाम मिर्जा राजा जयसिंह के नाम पर जयगढ़ रखा गया। यहां लघु दुर्ग विजयगढी है जहां महाराजा सवाई जयसिंह ने अपने छोटे भाई विजय सिंह को कैद में रखा था। यहाँ मध्यकालीन शास्त्रास्त्रों का विशाल संग्रहालय व तोप ढालने का कारखाना भी है।
कच्छावा राजाओं का राजकोष भी यहां रखा जाता था। एशिया की सबसे बड़ी तोप “जयबाण” को महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित करवाई गई थी जो भी यहां पर है। इस फोर्ट के ऊपर से जयपुर का पूरा नजारा देख सकते हैं। जयगढ़ दुर्ग में टिकट मात्र ₹70 का है। 7 से ऊपर के बच्चों का टिकट ₹40 का है। यह फोर्ट भी सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। इस इस दुर्ग में भी घूमने के लिए आपको 2 घंटे लग सकते हैं। स्टूडेंट अपने साथ आईडी प्रूफ हमेशा साथ में रखें जिससे यहां पर बहुत सारी छूट भी मिलती है। यहां से मैं एक जयपुर के पार्क में गया वहां के सामने ही एक शंकर ढाबा था। यहां पर मैंने रोटी और सब्जी खाई। सब्जी केवल ₹15 की है और रोटी है जो एक 5 रुपये की है। दो तीन रोटी में ही पेट भर जाता है। जयपुर की यात्रा बहुत ही शानदार रही।
“धन्यवाद”
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